3.8 अरब वर्ष बाद दोबारा हुआ बिग बैंग, गामा किरणों के विस्फोट से रोशनी से नहाया सौरमंडल | Big Bang 2020
3.8 अरब वर्ष बाद दोबारा हुआ बिग बैंग, गामा किरणों के विस्फोट से रोशनी से नहाया सौरमंडल
अंतरिक्ष में इन दिनों कई तरह की खगोलीय घटनाएं देखने को मिल रही हैं। इसी बीच Gamma Rays के हुए एक बड़े विस्फोट ने खगोलविदों को हैरानी में डाल दिया है।
आमतौर पर गामा किरणों (Gamma Rays) के छोटे विस्फोट (Short Bursts) के बाद की चमक (Afterglow) बहुत कम होती है, क्योंकि ये हमारी पृथ्वी से काफी दूर होते हैं। मगर हाल ही में हुए प्रस्फोट ने सारे सिद्धांतों को फेल कर दिया है, क्योंकि इन किरणों के पृथ्वी से 10 अरब वर्ष दूर होने के बावजूद इससे इतनी तेज चमक निकली कि इससे सौरमंडल रौशनी से नहा उठा।
वैज्ञानिकों ने बताया कि SGRB181123B के विस्फोट में नजारा हैरान करने वाला था। ये पहले हुए प्रस्फोट से काफी अलग था। यह बिग बैंग की घटना के 3.8 अरब वर्ष बाद दोबारा ऐसा नजारा देखने को मिला।
शोधकर्ता इसे दूसरा सबसे अधिक दूरी वाला प्रस्फोट (SGRB) मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये ऑप्टिकल आफ्टरग्लो (Optical Afterglow) है।
ये एक ऐसी स्थिति होती है, जो गामा रे बर्स्ट के बाद बनती है। यानी विस्फोट के बाद नजर आने वाली चमक को आफ्टरग्लो कहते हैं।
नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिक्स की टीम के सदस्य और इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक वेन फाइ फोंग का कहना है कि इतनी दूर का SGRB के खोज की सम्भावना बेहद कम होती है, क्योंकि ये बहुत धुंधले होते हैं।
आमतौर पर टेलीस्कोप से उनके स्थानीय वातावरण का अध्ययन करने की कोशिश की जाती है जिससे इनके सिस्टम के बारे में जानने में आसानी होती है।
आमतौर पर टेलीस्कोप से उनके स्थानीय वातावरण का अध्ययन करने की कोशिश की जाती है जिससे इनके सिस्टम के बारे में जानने में आसानी होती है।
ऐसे में इस नए तरह के विस्फोट से भविष्य में होने वाले शोध में काफी मदद मिलेगी।
ब्रह्माण्ड में सबसे ज्यादा SGRB प्रस्फोट तब होते हैं जब दो न्यूट्रॉन तारों का विलय होता है। उस वक्त बहुत कम के समय के लिए गामा किरणों का प्रस्फोट होता है। इससे रोशनी निकलती है।
कब होते हैं SGRB प्रस्फोट-
ब्रह्माण्ड में सबसे ज्यादा SGRB प्रस्फोट तब होते हैं जब दो न्यूट्रॉन तारों का विलय होता है। उस वक्त बहुत कम के समय के लिए गामा किरणों का प्रस्फोट होता है। इससे रोशनी निकलती है।
खगोलविद् वर्ष में केवल सात या आठ SGRB प्रस्फोट ही देख पाते हैं। चूँकि ये हमसे काफी दूर होते हैं और इनसे निकले वाली चमक सिर्फ कुछ घंटे ही रहती है इसलिए इसका बारीकी से अध्ययन करना काफी मुश्किल होता है।
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