कटारमल मंदिर क्या है ? | History of कटारमल मंदिर

कटारमल मंदिर


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कटारमल मंदिर


उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जनपद में कटारमल नामक स्थान पर सूर्य भगवान का मंदिर स्थित है, जोकि 900 वर्ष पुराना है।
यह सूर्य मंदिर विशाल और अनूठा होने के साथ ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर की तरह प्राचीन भी है।
भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा इस मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया जा चुका है।


  • माना जाता है कि ये मंदिर 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच अलग-अलग समय में बना हुआ है।

  • इस सूर्य मंदिर को बड़ आदित्य सूर्य मंदिर भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ भगवान भास्कर की मूर्ति पत्थर अथवा धातु की नहीं, बल्कि बरगद की लकड़ी से बनी है।

  • मंदिर के गर्भगृह का प्रवेश द्वार भी नक्काशी की हुई लकड़ी का ही था, जो इस समय दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा हुआ है।

  •  इसका, निर्माण इस प्रकार करवाया गया है कि सूर्य की पहली किरण मंदिर में रखे शिवलिंग पर पड़ती है।

  • मन्दिर में प्रमुख मूर्ति बूटधारी आदित्य (सूर्य) की है, जिसकी आराधना शक जाति में विशेष रूप से की जाती है।

  • मंदिर में एक अन्य मूर्ति में सूर्य देव पद्मासन लगाकर बैठे हुए हैं।
  • यह मूर्ति एक मीटर से अधिक लम्बी और करीब इतनी ही चौड़ी भूरे रंग के पत्थर से बनाई गई है।
  • यह मूर्ति 12वीं शताब्दी की बताई जाती है।

  • कोणार्क के सूर्य मंदिर के बाहर जो झलक है, वह कटारमल मन्दिर में आंशिक रूप से दिखाई देती है।

  • मंदिर की दीवार पर तीन पंक्तियों वाला शिलालेख है, लेकिन अब वह धीरे-धीरे मिटने लगा है इसलिए उसे पढ़ा नहीं जा सकता है।

 
  • यहाँ पर विभिन्न समूहों में बसे छोटेछोटे 45 मंदिर हैं. मुख्य मंदिर का निर्माण अलग-अलग समय में हुआ माना जाता है।  

  • वास्तुकला की विशेषताओं और खंभों पर लिखे शिलालेखों के आधार पर इस मंदिर का निर्माण 11 से 13वीं शताब्दी के बीच का माना जाता है।


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