मेहरगढ़ क्या है ?

मेहरगढ़

infonewshunts.blogspot.com, मेहरगढ़ क्या है ?
मेहरगढ़


सिन्धु नदी क्षेत्र में नवपाषाणकालीन सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थल कच्छी मैदानों में स्थित मेहरगढ़ है, जिसे बलूचिस्तान की रोटी की टोकरी माना जाता है।
प्रतीत होता है कि मेहरगढ़ का नवपाषाणकालीन उपस्तर स्थानीय रूप से विकसित मध्यपाषाणकालीन उपस्तर पर ही विकसित हुआ।
इस स्थान के सात स्तरों में से केवल तीन स्तरों को ही नवपाषाणकालीन माना जाता है।


यहाँ से प्राप्त अनाज के दानों और पशुओं की हड्डियों से स्थानीय पशुपालन और कृषि अर्थव्यवस्था का पता चलता है। इस स्थल की खुदाई 1977 ई. में हुई थी।

6000 और 5000 ई. पू. के बीच यहाँ जीवनयापन की ऐसी पद्धति दिखाई देती है, जो गेहूँ और जौ जैसे अनाजों तथा गाय, बैल, भेड़, बकरी जैसे पशुओं पर आधारित थी।

मेहरगढ़ के नवपाषाणकालीन चरण की मुख्य विशेषताएं थीं-कच्ची ईंटों से 'सिगार के आकार में' अंगीठियों से युक्त मकान, चकमक पत्थर (Flint) पर आधारित प्रस्तर उद्योग, जुड़ा हुआ हँसिया, विभिन्न प्रकार के हड्डियों के औजार, हाथ से बनाई गई एक मृणमूर्ति, शवाधि वस्तुओं (जैसेकोलतार लगीटोकरियों, पत्थर या सीपी शंख के मनकों वाले हार, हड्डी या पत्थर के लटकन, 1B.C. और 1 काल-अवधियों के मृदभाड़ लाजवर्द या नीलम, फिसेजा' शंख आदि के मनके, आदि) से युक्त शवाधियाँ हैं।

मेहरगढ़ से प्राचीनतम कृषि (रागी) एवं पशुपालन के साक्ष्य मिले हैं।

मेहरगढ़, बलूचिस्तान के बोलन नदी के किनारे स्थित है।

यहाँ से चौकोर तथा आयताकार घरों के अवशेष मिले हैं।

मेहरगढ़ में एक औजार मिला है (ड्रील) जो दन्त चिकित्सकों के ड्रील से मिलती-जुलती है।

मेहरगढ़ सभ्यता के तीसरे चरणकाल में हमें ताँबा गलाने का स्पष्ट प्रमाण मिलता है।

खजूर और बेर के बीज भी इसी चरण से प्राप्त होते हैं।

Comments