कालीकट (कोडिकोड)
कालीकट |
कालीकट अथवा 'कोडिकोड' केरल राज्य का एक नगर और पत्तन है।
पश्चिम की ओर अरब सागर से घिरा यह क्षेत्र बीते हुए युग में व्यापार और वाणिज्य का शानदार केन्द्र था।
13वीं शताब्दी के अरब लेखकों ने पश्चिमी तट के प्रमुख बन्दरगाह के रूप में इसका उल्लेख किया है।
15वीं शताब्दी में यह मालाबार तट का प्रमुख नगर था।
पश्चिम की ओर अरब सागर से घिरा यह क्षेत्र बीते हुए युग में व्यापार और वाणिज्य का शानदार केन्द्र था।
13वीं शताब्दी के अरब लेखकों ने पश्चिमी तट के प्रमुख बन्दरगाह के रूप में इसका उल्लेख किया है।
15वीं शताब्दी में यह मालाबार तट का प्रमुख नगर था।
प्रागैतिहासिक काल की पत्थरों की गुफाएं यहाँ प्राप्त हुई हैं।
संगम युग में यह जिला चेर प्रशासन के अधीन था। उस समय यह स्थान व्यापारिक गतिविधियों का केन्द्र था।
कोडिकोड का अस्तित्व तेरहवीं शताब्दी में उभरकर सामने आया।
इरनाड के राजा उदयावर ने कोडिकोड और पोन्नियंकर के आसपास का क्षेत्र जीतकर एक किला बनवाया जिसे वेलापुरम कहा गया।
इरनाड के राजा उदयावर ने कोडिकोड और पोन्नियंकर के आसपास का क्षेत्र जीतकर एक किला बनवाया जिसे वेलापुरम कहा गया।
20 मई, 1498 को वास्कोडिगामा कालीकट तक पहुँचे और वहाँ के राजा से कारोबार के लिए हामी भरवा ली काटीकट में 3 महीने रहने के बाद वास्कोडिगामा पुर्तगाल लौट गए।
1502 को वास्कोडिगामा फिर भारत आए और कोच्चि के राजा से व्यापार करने का समझौता किया।
इसके तहत् मसालों का कारोबार बनाए रखने की संधि हुई 1524 में वास्कोडिगामा तीसरी बार भारत पहँचे और यहीं उनकी 24 मई, 1524 को मौत हो गई।
पुर्तगालियों की वजह से ब्रिटिश लोग भी यहाँ आने लगे. अंततः 1615 ई. में यह क्षेत्र ब्रिटिश अधिकार में आया।
1698 ई. में यहाँ फ्रांसीसी बस्तियाँ बसी।
फ्रांस और ब्रिटेन के बीच के युद्ध के काल में इस क्षेत्र की सत्ता बदलती रही।
फ्रांस और ब्रिटेन के बीच के युद्ध के काल में इस क्षेत्र की सत्ता बदलती रही।
वास्कोडिगामा समुद्री मार्ग से आने वाला पहला यूरोपवासी था।
आगे चलकर यह स्थान शक्तिशाली जमोरिन साम्राज्य की राजधानी बना।
आधुनिक इतिहासकारों के अनुसार कालीकट अपने मसालों और रेशम के लिए जाना जाता था।
यही कारण है कि इसने हिन्द महासागर के कई देशों के साथ सफल व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित किए।
यही कारण है कि इसने हिन्द महासागर के कई देशों के साथ सफल व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित किए।
कई अफ्रीकी, एशियाई और मध्य पूर्व के देशों के साथ मजबूत व्यापारिक सम्बन्धों ने कालीकट को उसके सुनहरे दिनों का एक प्रसिद्ध आर्थिक केन्द्र बना दिया।
कालीकट कभी मसालों की राजधानी कहा जाता था।
कालीकट के बने सूती कपड़े की बड़ी ख्याति थी।
1883 ई. में यहाँ एक 'वाष्पचालित पुतलीघर' की स्थापना हुई थी।
यहाँ गृह उद्योग के रूप में बेंत और बाँस का सामान, मूर्तिकला, लकड़ी पर नक्काशी, दियासलाई और साबुन रंगाई, आदि उद्योग मुख्य हैं।
यहाँ से कॉफी और मसाले का निर्यात होता है।
यहाँ से कॉफी और मसाले का निर्यात होता है।
यह क्षेत्र विश्व प्रसिद्ध लोकगीतों व दक्कन पत्तुकल का जन्मस्थल है।
कालीकट समृद्ध इस्लामी कला रूपों के साथ पनपता है, जो इस क्षेत्र के सांस्कृतिक इतिहास की विशिष्टता में योगदान देता है।
ओप्पना (एक मुस्लिम नृत्य का प्रकार) और मप्पिलापत्तुकल (मुस्लिम गाना) और गज़ल इस स्थान की लोकप्रिय इस्लामी कला के रूप में हैं।
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