ऑटोमेटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स-155 (एआईएस 155)
केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मन्त्रालय ने 18 दिसम्बर, 2019 को केन्द्रीय मोटर वाहन (14वाँ संशोधन) नियम, 1989 के नियम 92 में संशोधन के जरिए माइक्रोडॉट आइडेन्टिफायर के सम्बन्ध में
अधिसूचित कर दिया है।
इसके लिए नियमों का एक मसौदा जुलाई 2019 में जारी किया गया था।
मसौदे पर आई सलाह और आपत्तियों पर गौर करने के बाद सरकार ने अधिसूचना जारी की है।
मंत्रालय ने कहा की केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली 1989 में संशोधन के जरिए वाहन, उसके पार्ट्स, कम्पानेंट, असेंबलीज और सब-असेंबलीज पर माइक्रोडॉटस आइडेंटिफायर लगाने के सन्दर्भ में वाहन उद्योग के मानक को अधिसूचित कर दिया गया है।
इस अधिसूचना के अनुसार 'जो विनिर्माता मोटर वाहनों एवं उनके कलपुर्जी, उपकरणों, एसेम्बलीज और सब-एसेम्बलीज में माइक्रोडॉट आइडेन्टिफायर लगा रहे हैं, उन्हें ऑटोमोटिव उद्योग मानकों (एआईएस)-155 का पालन करना होगा और जिनमें समय-समय पर संशोधन हो सकेंगे। '
मन्त्रालय के बयान के मुताबिक माइक्रोडॉट्स से वाहनों की सुरक्षा बढ़ेगी।
मन्त्रालय ने कहा कि अधिसूचना के मुताबिक वाहनों, उनके पुजों, कम्पनोनेंट्स, असेंबलीज और सब-असेंबलीज पर माइक्रोडॉट्स लगाने वाली कम्पनियों को ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स (एआईएस)-155 का पालन करना होगा।
क्या है माइक्रोडॉट्स
माइक्रोडॉट्स पॉलीमर पार्टिकल होते हैं।
यह एक मिलीमीटर या आधे मिलीमीटर व्यास का होता है,इन्हें वाहनों पर उकेरा जाता है।
इन सूक्ष्म डॉट्स में वाहनों के बारे में महत्वपूर्ण सूचना होती है।
इनके सहारे चोरी के वाहनों की पहचान की जा सकती है।
माइक्रोडॉट्स को बिना वैज्ञानिक उपकरणों के सिर्फ आँखों से देखा नहीं जा सकता है। साथ ही इन्हें हटाया भी नहीं जा सकता है।
जहाँ से भी इसे हटाया जाएगा, वहाँ वाहन या उपकरण क्षतिग्रस्त हो जाएंगे।
माइक्रोडॉट्स नई बात नहीं है। लेकिन भारत में कम्पनियाँ इसका उपयोग नहीं करती हैं, इसका कारण यह है कि इसके बारे में अब तक सरकार की ओर से कोई मानक जारी नहीं किया गया था।
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