कालीबंगा
कालीबंगा |
कालीबंगा हडप्पा से 200 किमी दूर सुखीधग्गर नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है।
राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित इस स्थल की सर्वप्रथम खोज 1953 में अमलानन्द घोष ने की थी।
1961 ई. में डॉ. बी. बी. लाल एवं बी. के थापड़ ने यहाँ उत्खनन कराया।
कालीबंगा के उत्खनन में निचली सतह से पूर्व सिन्धु सभ्यता के तथा ऊपरी सतह से सिन्धु सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
इसकी योजना कई लिहाज से हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के समान है, हालांकि यह इन दोनों से छोटी है।
हड़प्पा की तरह यह नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है और इसका दिविन्यास भी उत्तर-दक्षिण है।
कालीबंगा नगर-दुर्ग की योजना स्पष्ट है, जिसमें दो लगभग समान समानान्तर विषम चतुर्भुज एक मजबूत दीवार से एक-दूसरे से विभाजित है।
इनमें से उत्तरी हिस्से में सामान्य मकान बने हुए थे, जबकि दक्षिणी हिस्से में कई रहस्यमयी ईंटों के चबूतरे थे, जो शायद यज्ञ आदि के लिए बनाए गए होंगे।
निचले नगर में गलियों का नियमित जाल था, जो मोहनजोदड़ो की गलियों की याद दिलाता है।
उत्खनन से एक समानान्तर चतुर्भुजाकार दुर्ग या किला मिला है, जिसमें पूर्व दिशा की ओर अभिमुख अच्छी तरह से बनाए मकान थे।
एक साधारण मकान में आँगन, कुछ कमरे तथा जमीन के अन्दर (गड्ढे में) एवं ऊपर बने चूल्हे होते थे।
यहाँ उत्खनन में हल से भूमि की जुताई, एक-दूसरे से समकोण बनाती
हल-रेखाओं वाली भूमि, ताँबा गलाने की तकनीकि का ज्ञान, गोमेद एक स्फटिक के फलकों (ब्लेडों) का प्रयोग तथा छह विभिन्न प्रकार की बनावट वाले बर्तनों के अवशेष, सीपी की चूड़ियाँ, सेलखड़ी के तश्तरी जैसे मनकों के बारे में जानकारी मिलती है।
यहाँ के मकानों में कच्ची ईंटों का प्रयोग किया जाता था।
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