देवराय प्रथम कौन थे ?

देवराय प्रथम




देवराय प्रथम (1406-1422 ई.) जयनगर साम्राज्य के संगम वंश के पासक हरिहर द्वितीय का पुत्र था। 1406 ई. में हरिहर द्वितीय के मृत्यु के पश्चात् देवराय प्रथम उत्तराधिकारी हुआ।


अपने राज्यरोहन के तुरन्त बाद देवराय प्रथम को फिरोजशाह बहमनी के आक्रमण का सामना करना पड़ा। 

बहमनी शासक के हाथों के रूप में दस-लाख का हर्जाना देना पड़ा। 

उसे सुल्तान फिरोजशाह के साथ अपनी लड़की की शादी करनी पड़ी 
और दहेज के रूप में दोआब क्षेत्र में स्थित बांकापुर भी सुल्तान को 
देना पड़ा ताकि भविष्य में युद्ध की गुंजाइश न रहे। 

दक्षिण भारत में इस प्रकार का पहला राजनीतिक विवाह नहीं था, इसके पहले खेरला का राजा शान्ति स्थापित करने के लिए फिरोज बहमनी के साथ अपनी लड़की का विवाह कर चुका था। 


देवराय प्रथम ने अनेक जनकल्याणकारी योजनाएं प्रारम्भ की।  
उसने तुगंभद्रा पर हरिदा बाँध बनवाकर अपनी राजधानी विजयनगर तक नहरें बनवाईं।  

देवराय प्रथम ने ही 10,000 मुस्लिमों को सेना में प्रथम बार भर्ती किया था। 


देवराय प्रथम के शासनकाल में ही इटैलियन यात्री निकोलो डी काँण्टी 
ने 1430 ई. में विजयनगर की यात्रा की थी।  

उसने नगर में मनाए जाने वाले दीपावली, नवरात्र आदि जैसे उत्सवों का भी वर्णन किया था।  

देवराय प्रथम विद्वानों का भी महान् संरक्षक था।  उसके दरबार में हरविलासम और अन्य ग्रन्थों के रचनाकर प्रसिद्ध तेलगु कवि श्रीनाथ सुशोभित करते थे। 


देवराय प्रथम के विषय में कहा गया है कि "सम्राट अपने राजप्रसाद के 'मुक्ता सभागार' में प्रसिद्ध व्यक्तियों को सम्मानित किया करता था।  

उसके समय में विजयनगर दक्षिण भारत में विद्या का केन्द्र बन गया था।  

1422 ई. में देवराय प्रथम की मृत्यु हो गई। 

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