गोलाश्म मृत्तिका,पादप संरक्षण के उपाय

गोलाश्म मृत्तिका (Boulder clay) क्या है?

यह हिमनद प्रभावित क्षेत्रों में पाई जाने वाली कठोर तथा कंकड़ों-पत्थर (गोलाश्मों) से मुक्त मृत्तिका जिसकी मोटाई कई फीट तक हो सकती है।  

इसके ऊपरी भाग में कुछ सेमी की गहराई तक बारीक मिट्टी मिलती है।  
इसका संघटन इन शैलों या स्रोतों पर निर्भर करता है जहाँ से गोलाश्म आते हैं।  

इसके निक्षेप ब्रिटिश द्वीप समूह और उत्तरी यूरोप में गोलाश्म मृत्तिका के निक्षेप मिलते हैं। 


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रबी मौसम में, आलू की फसल में कीट/रोग से काफी नुकसान होता है, इस हेतु पादप संरक्षण के उपाय हैं


'आलू' (Potato-सालेनम ट्यूबरोसम एल., कुल -सालेनेसी) कन्द वाली 'सब्जी विज्ञान' (ओलेरीकल्चर) की एक प्रमुख रबी फसल (नवम्बर से फरवरी तक की अवधि वाली) है। 

 मैदानी इलाकों में नवम्बर के मध्य से ही आलू की फसल पर पिछेता झुलसा (लेटव्लाइट) आने का भय हो जाता है।  

इस बीमारी को काबू में करने  के लिए दिसम्बर के पहले सप्ताह से 0.2%  मैन्कोजेव का छिड़काव किया जाए।  

यदि, पिछेता झुलसा का प्रकोप हो जाए, तो साईमोक्सीनिल + मैन्कोजेव के 0.3% घोल का छिड़काव करें।  

छिड़काव का घोल पौधों की पत्तियों की निचली ओर अच्छी तरह से पहुँच जाएं। 
यदि, सफेद मक्खी या माहू (एफिड) का हमला दिखाई दे, तो उस स्थिति में एमिडाक्लोरोपिड 5 मिली प्रति 10 लिटर पानी में मिलाकर छिड़कें पत्ती खाने वाले कीट के आक्रमण की अवस्था में क्लोरोपायरीफॉस (20 ईसी) की 2-2.5 लिटर मात्रा को 800 से 1000 लिटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। 

 छिड़काव के अच्छे असर हेतु स्टीकर का प्रयोग करें, इन उपायों से आलू की फसल को नुकसान नहीं होगा। 
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