बहलोल लोदी कौन था ?

बहलोल लोदी

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दिल्ली के प्रथम पठान राज्य के संस्थापक बहलोल लोदी अफगानिस्तान के गिलजाई कबीले की महत्वपूर्ण शाखा लोदी के शाहखेल नामक कुटुम्ब से उत्पन्न हुआ था।  


बहलोल लोदी ने सैयद वंश के अन्तिम शासक अलाउद्दीन आलमशाह को गद्दी से उतार दिया तथा लोदी वंश की नींव रखी।  

बहलोल लोदी की मुख्य सफलता जौनपुर (1484 ई.) राज्य को दिल्ली सल्तनत में सम्मिलित करने की थी। 

 बहलोल लोदी ने दिल्ली सल्तनत के सभी शासकों में सर्वाधिक समय (38 वर्ष) तक शासन किया था।  

उसने बहलोल सिक्के को चलाया, जो अकबर के पहले तक उत्तरी भारत में विनिमय का मुख्य साधन बना रहा।  

बहलोल लोदी एक साधारण व्यक्ति था तथा 'तारीखेदाउदी' के लेखक अब्दुल्लाह के अनुसार वह कभी सिंहासन पर नहीं बैठता था।  

वह अपने सरदारों के साथ मिलता था।  

अपनी स्थिति दृढ़ करने के लिए उसने खुले हाथों भेंट-पुरस्कार आदि बाँटकर सेना का विश्वासपात्र बनने का प्रयत्न किया।  

राज्य की आन्तरिक व्यवस्था स्थापित करने तथा अमीरों और सबेदारों को दण्ड देने के लिए जिन्होंने उसका सत्ता को स्वीकार नहीं किया था।
 बहलोल ने कठोर सैन्यवादी नीति का अनुसरण करने का निर्णय लिया। 

जौनपुर पर अपनी सत्ता स्थापित करने के पश्चात् बहलोल ने कालपी, धौलपुर, बाड़ी और अलापुर के शासकों को अपना प्रभुत्व स्वीकार करने पर बाध्य करने में भी उसे सफलता प्राप्त हुई।  
इसके उपरान्त बहलोल ने ग्वालियर पर आक्रमण किया।  

ग्वालियर के राजा मानसिंह को अस्सी लाख टंका सुल्तान को भेंट करने पड़े।  

ग्वालियर से लौटते समय मार्ग में ही बहलोल बीमार पड़ गया और जलाली के निकट 1489 ई. के मध्य में उसकी मृत्यु हो गई। 

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