गुलबर्गा क्या है ?

गुलबर्गा





गुलबर्गा जिला कर्नाटक के उत्तरपूर्वी भाग में स्थित है।  

गुलबर्ग या 'गुलबर्गा' शहर भारत के पश्चिमोत्तर कर्नाटक (भूतपूर्व मैसूर) राज्य में स्थित है गुलबर्ग का प्राचीन नाम 'कलबुर्गी' है, यह नगर दक्षिण के बहमनी नरेशों के समय से प्रसिद्ध हुआ। 


दक्षिण के बहमनी वंश के संस्थापक सुल्तान अलाउद्दीन ने गुलबर्ग को 1347 ई. में अपनी राजधानी बनाया।  

उसने इसका नाम एहसानाबाद रखा।  

1425 ई. तक यह इस राज्य की राजधानी रहा, जबकि 9वें सुल्तान (1422-36) ने इसे त्याग कर बीदर को राजधानी बनाया।  

वारंगल के काकतियों के राज्य क्षेत्र में शामिल इस नगर को आरम्भिक 14वीं शताब्दी में पहले सेनापति उलूग खाँ और बाद में सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा दिल्ली की सल्तनत में शामिल कर लिया गया।  

सुल्तान की मृत्यु के बाद यह बहमनी राज्य (1347 से लगभग 1424 तक यह इस साम्राज्य की राजधानी था) के अधीन हो गया और इस सत्ता के पतन के बाद बीजापुर के तहत् आ गया, 17 वीं शताब्दी में मुग़ल बादशाह औरंगजेब द्वारा दक्कन विजय के बाद इसे फिर से दिल्ली सल्तनत में शामिल कर लिया गया , लेकिन 18 वीं शताब्दी के आरम्भ में हैदराबाद राज्य की स्थापना से यह दिल्ली से अलग हो गया।


गुलबर्ग में एक प्राचीन सुदृढ़ दुर्ग स्थित है।  
जिसके अन्दर एक विशाल मस्जिद है, जो 1347 ई. में बनी थी।  
यह 216 फुट लम्बी और 176 फुट चौड़ी है।  

इसके अन्दर कोई आँगन नहीं है वरन पूरी मस्जिद एक ही छत के नीचे है।  
कहा जाता है कि यह भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है।  
इसकी बनाबट में स्पेन नगर के कोरडावा की मस्जिद की अनुकृति दिखलाई पड़ती है।  
मस्लिम संत ख्वाजा बंदा-नवाज की दरगाह (निर्माण 1640 ई.) भी गुलबर्ग का प्रसिद्ध स्मारक है।  
इसका गुम्बद प्रायः अस्सी फुट ऊँचा है। दरगाह के अन्दर नक्कारखाना, सराय, मदरसा और औरंगजेब की मस्जिद है।  

बहमनी सुल्तानों के मकबरे भी यहाँ स्थित है।  
बहमनी सुल्तानों और उनके दरबारियों ने गुलबर्ग में बहुत इमारतें बनवाईं थीं, लेकिन ये इमारतें इतनी बड़ी और कमज़ोर थीं कि अब उनके ध्वंसावशेष ही देखे जा सकते हैं।  

गुलबर्ग के ऐतिहासिक मन्दिरों में वासवेश्वर का मन्दिर 19वीं शती की वास्तुकला का सुन्दर उदाहरण है।  

श्री वासवेश्वर (शरन बसप्पा) का जन्म आज से प्रायः सवा सौ वर्ष पूर्व गुलबर्ग जिले में स्थित अरलगुन्दागी नामक ग्राम में हुआ था। 
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