जैविक खेती,संयतमार्गी व्यक्ति की विचारधारा क्या होती है ?

जैविक खेती की प्रक्रिया एवं इससे लाभ

भारत में '21वीं सदी हेतु 'जैविक खेती' की एक महती आवश्यकता है, तभी मानव स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।  

चूँकि, देश में आई 'हरित क्रांति' (1966-67) से कृषि- उत्पादन-गेहूँ, मक्का, धान में उच्च उपज किस्मों/संकर प्रजातियों के द्वारा बढ़ा, जिसमें रासायनिक उर्वरक/रासायनिककीटनाशी, फफूंदनाशी, खरपतवारनाशी पदार्थों का अत्यधिक प्रयोग हुआ, फलतः भूमि उर्वरता घटी।  

अब जैविक खेती को अपनाना होगा, जिसकी प्रक्रिया हेतु खेत की तैयारी-गर्मी की जुताई, हरी खाद, जुताई, पाटा चलना, बुवाई के लिए जैव-उर्वरक द्वारा बीज शोधन; गोबर की खाद (एफ वाई एम.), कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, 'नाडेप' (नारायण देवराव पांधारी पाण्डेय, पुषद (गाँव), महाराष्ट्र के यबथमाल जिले के प्रगतिशील  कृषक) कम्पोस्ट, हरी खाद (सनई, लैंचा); रोग-रक्षा के लिए ट्राईकोडर्मा, माइकोराइजा, स्यूडोमोनास; कीटों की रक्षा हेतु- ट्राइकोग्रामा कार्ड, वुवेरिया विवेसियाना, बी.टी.. एन.पी.वी., मित्र-कीट, फेरोमोन ट्रैप, बर्डपर्चर आदि एकीकृत-नाशी जीव प्रबन्धन की विधियों को अपनाकर करना होगा।  

कुल मिलाकर  जैविक खेती से भूमि का स्वास्थ्य सुधरेगा; पशु, मानव एवं लाभदायक सूक्ष्मजीवों का स्वास्थ्य सुधरेगा, पर्यावरण प्रदूषण कम होगा।  
रसायनों का दुष्प्रभाव पशु, पक्षी, मानव, भूमि, जल, हवा आदि पर कम होता है।  

सिक्किम (पूर्वोत्तर राज्य)-जैविक खेती राज्य है जिससे सीख लेनी होगी। 


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संयतमार्गी (Moderate) व्यक्ति की विचारधारा क्या होती है ?



मॉडरेट या संयतमार्गी अथवा नरमदलीय व्यक्ति सामाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्था में धीरे-धीरे परिवर्तन लाना चाहता है।  

ऐसा व्यक्ति पूरी व्यवस्था को तीव्रता से बदलने या अस्त-व्यस्त करने में विश्वास नहीं रखता।  
समस्याओं को, अपने विरोधियों के दृष्टिकोण को समझकर एवं विचारविमर्श से, व्यावहारिक रूप से सुलझाने का प्रयास करता है। 

 ऐसे व्यक्ति भावावेशपूर्ण विवाद से दूर रहते हैं तथा तर्क के आधार  पर समझौतावादी दृष्टिकोण अपनाते हैं। 
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