लोकनीति के विरुद्ध करार कौन से होते हैं ?


लोकनीति के विरुद्ध करार कौन से होते हैं ?

कोई करार, जो किसी प्रचलित विधि के पक्ष में नहीं होते, वे लोकनीति के विरुद्ध हैं , ये हैं -
सार्वजनिक पद का क्रय-विक्रय, न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप, मैन्टिनेन्स व चैम्पर्टी व विवाह की दलाली आदि।

भारतीय संविधान में प्रदत्त न्यायिक पनरावलोकन की शक्ति इस सिद्धान्त पर आधारित है ?

भारतीय संविधान में प्रदत्त न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया पर आधारित है।

न्यायिक पुनरावलोकन से तात्पर्य विधायिका द्वारा निर्मित कानून के संविधान से असंगत होने की स्थिति में उन कानूनों की पुनर्समीक्षा से है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13, 32, 131 (1), 136, 141, 143, 226, 245, 246 और 372 आदि के तहत् न्यायिक पुनरावलोकन की व्यवस्था है।
न्यायिक पुनरावलोकन का आधार विधि के शासन को बचाए रखना तथा विधि की सर्वोच्चता को स्थापित करना है।
विधि के शासन का उल्लंघन करने वाले कानून की समीक्षा न्यायालय द्वारा न्यायिक पुनरावलोकन के तहत् की जा सकती है।

अनुच्छेद 371 किन राज्यों से सम्बन्धित है?

भारत के संविधान का अनुच्छेद 371 महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों के सम्बन्ध में विशेष उपबंध करता है, साथ ही 371 क नगालैण्ड, 371 ख असम, 371 ग मणिपुर, 371 घ व ङ आंध्र प्रदेश, 371 च सिक्किम, 371 छ मिजोरम, 371 ज अरुणाचल प्रदेश, 371 झ गोवा व 371 ञ कर्नाटक राज्य के लिए विशेष प्रावधान करता है।




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