भीमबेटका
भीमबेटका |
भीमबेटका मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले में मध्य भारतीय पठार के दक्षिण सिरे पर स्थित विध्यांचल पर्वत की तराई में मौजूद है।
यह गुफा आदिमानव द्वारा बनाए गए शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है, जोकि लगभग 30 हजार वर्ष पुराने हैं।
यह गुफा आदिमानव द्वारा बनाए गए शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है, जोकि लगभग 30 हजार वर्ष पुराने हैं।
भीमबेटका की खोज वर्ष 1957-58 में डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा की गई थी।
भीमबेटका गुफा में भारत में मानव जीवन के प्राचीनतम चिह्न हैं।
भीमबेटका को भीम का निवास भी कहते हैं।
इन गुफाओं में सबसे प्राचीन चित्रकारी को 12000 वर्ष पुराना माना जाता है।
इन गुफाओं में सबसे प्राचीन चित्रकारी को 12000 वर्ष पुराना माना जाता है।
भीमबेटका गुफाओं की विशेषता यह है कि यहाँ की चट्टानों पर हजारों वर्ष पूर्व बनी चित्रकारी आज भी मौजूद है।
भीमबेटका गुफाओं में करीब 750 शैलाश्रय हैं, जिनमें 500 शैलाश्रय चित्रों द्वारा सुसज्जित हैं।
इन गुफाओं में बनी चित्रकारियाँ यहाँ रहने वाले पाषाणकालीन मनुष्यों के जीवन को दर्शाती हैं।
भीमबेटका गुफाओं में अधिकांश चित्र लाल और सफेद रंग के हैं और इसके साथ कभी-कभार हरे एवं पीले रंग के बिन्दुओं में सजे हुए हैं, जिनमें दैनिक जीवन की घटनाओं से ली गई विषय वस्तुएं चित्रित हैं।
अन्य पुरावशेषों में प्राचीन किले की दीवार, लघुस्तूप, पाषाण निर्मित भवन, शुंगगुप्तकालीन अभिलेख, शंख अभिलेख और परमारकालीन मंदिर के अवशेष भी यहाँ मिले हैं।
भीमबेटका क्षेत्र को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भोपाल मण्डल ने अगस्त 1990 में राष्ट्रीय महत्व का स्थल घोषित किया।
इसके बाद जुलाई 2003 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।
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