नेट जीरो एमिशन समझौता
नेट जीरो एमिशन |
ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के नेताओं की लम्बी बातचीत के बाद कार्बन उत्सर्जन को लेकर नेट जीरो एमिशन समझौते पर सहमति बन गई है। हालाँकि पोलैण्ड इस समझौते से बाहर है।
यूरोपीय संघ ने इस समझौते के तहत् यह तय किया है कि साल 2050 तक यूरोपीय संघ के सदस्य देश कार्बन न्यूट्रल हो जाएंगे।
2050 के लिए तय किया गया ये लक्ष्य 2015 में हुए पेरिस जलवायु समझौते के तहत् ही हैं।
इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए यूरोपीय संघ के सदस्य देशों को जीवाश्म ईंधनों की वजह से हो रहे कार्बन उत्सर्जन को कम करना होगा और इन ईंधनों का विकल्प भी तलाशना होगा।
ये विकल्प ऐसे होने चाहिए जो प्रदूषण न फैलाएं।
पोलैण्ड ने इस समझौते में शामिल होने से इनकार कर दिया।
पोलैण्ड में 80 प्रतिशत ऊर्जा उत्पादन कोयले की मदद से होता है।
पोलैण्ड ने फिलहाल खुद को इस समझौते से बाहर रखा है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि आने वाले सालों में पृथ्वी का औसत तापमान 1.5 से 2 डिग्री तक बढ़ जाएगा।
इसको रोकने के लिए जीवाश्म ईंधनों का उपयोग कम करना ही होगा।
यूरोपीय संघ की 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 20 साल में यूरोपीय संघ का कार्बन उत्सर्जन कम तो हमा है, लेकिन अभी भी विश्व के कार्बन उत्सर्जन का 9.6 प्रतिशत कि यूरोपीय संघ से निकलता है।
2050 के लिए अभी से योजना बनाने की वजह ये है कि जीरो नेट एमिशन के लिए किए जाने वाले इंतजाम एक लम्बी प्रक्रिया से होकर गुजरेंगे।
ऐसे में ये कदम जितनी जल्दी उठा लिए जाएं वो उतनी जल्दी ही पूरे हो सकेंगे।
नेट जीरो एमिशन क्या है ?
नेट जीरो एमिशन का मतलब एक ऐसी अर्थव्यवस्था तैयार करना है जिसमें जीवाश्म ईंधनों का इस्तेमाल ना के बराबर हो, कार्बन उत्सर्जन करने वाली दूसरी चीजों का इस्तेमाल एक दम कम हो, जिन चीजों से कार्बन उत्सर्जन होता है उसे सामान्य करने के लिए कार्बन सोखने के इंतजाम भी साथ में किए जाएं।
नेट जीरो एमिशन का मतलब एक ऐसी अर्थव्यवस्था तैयार करना है जिसमें जीवाश्म ईंधनों का इस्तेमाल ना के बराबर हो, कार्बन उत्सर्जन करने वाली दूसरी चीजों का इस्तेमाल एक दम कम हो, जिन चीजों से कार्बन उत्सर्जन होता है उसे सामान्य करने के लिए कार्बन सोखने के इंतजाम भी साथ में किए जाएं।
नेट जीरो एमिशन का मतलब एक ऐसी व्यवस्था तैयार करना है जिसमें कार्बन उत्सर्जन का स्तर लगभग शून्य हो इसकी वजह आईपीसीसी द्वारा की गई एक भविष्यवाणी है।
इसके मुताबिक आने वाले सालों में अगर ठोस इंतजाम नहीं किए गए तो पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ जाएगा।
इस बढ़ोत्तरा का दो डिग्री से कम रखने के लिए न जीरो एमिशन जैसी व्यवस्था बेहद जरूरी है।
ऊर्जा के क्षेत्र में नेट जीरो एमिशन प्राप्त करने के लिए नवीकरणीय ऊजा स्रोतों का इस्तेमाल बढ़ाना होगा।
निगटिव एमिशन
नेट जीरो एमिशन के लिए निगेटिव एमिशन का सहारा भी लेना होगा।
निगटिव एमिशन से मतलब ऐसी चीजों से है जो कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने का काम करते है।
पेड़ ऐसी प्राकृतिक चीज है जो कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने का काम करते हैं।
इसके लिए बड़े स्तर पर पड लगाने होंग, साथ ही खेतों में मक्क जैसी फसलें लगानी होगी जो बड़े होने के साथ ज्यादा कार्बन सोखती है।
बायो एनर्जी का इस्तेमाल भी बढ़ाना होगा जिसमें कार्बन डाइ ऑक्साइड का इस्तेमाल ऊर्जा उत्पादन में हो जाता है।
साथ ही उद्योगों पर बंदिश लगानी होगा। इन बंदिशों के मुताबिक जो उद्यान जितना ज्यादा उत्सर्जन करेंगे, उन्ह उतना ही ज्यादा इंतजाम इस प्रदूषण का सोखने के लिए करना होगा।
--------------------------------------
Comments
Post a Comment