कंबाला दौड़
कंबाला दौड़ |
कालीबंगा क्या है ?
कर्नाटक के वेनुर में सूर्यचंद्र कंबाला में निशांत शेट्टी नामक खिलाड़ी ने 9.51 सेकण्ड में ही 100 मीटर की दूरी तय कर दी जो श्रीनिवास गौड़ा से .04 सेकण्ड कम है।
इसके पहले कर्नाटक के श्रीनिवास गौडा ने कंबाला रेस में सिर्फ 13.62 सेकंड्स में 142.50 मीटर दूरी तय कर कर्नाटक के इस पारम्परिक खेल के सबसे तेज धावक बन गए थे।
श्रीनिवास ने इस रेस का 30 वर्ष पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया। अब उनकी तुलना दुनिया के सबसे तेज धावक उसेन बोल्ट से की जा रही है।
उसेन बोल्ट ने 100 मीटर रेस 9.58 सेकण्ड में पूरी करने का विश्व रिकॉर्ड बनाया है।
कंबाला रेस या भैंसा दौड़ कर्नाटक का पारम्परिक खेल है। यह खेल कीचड़ वाले इलाके में आयोजित किया जाता है।
कर्नाटक के तटीय इलाकों मंगलूरू और उडुपी में यह खेल काफी प्रचलित है।
तटीय कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ और उडुपी जिलों का यह भैंस दौड़ खेल है, जो लगभग आठ दशकों से चला आ रहा है।
'कंबाला' में दो भैंसों को बाँध दिया जाता है और उन्हें कीचड़ में दौड़ाया जाता है।
भैंसों को 140 से 160 मीटर की दूरी 12 से 13 सेकंड में पूरी करनी होती है।
भैंसों को तेज भगाने के लिए किसान उन्हें कुहनी और कोड़े से मारते हैं।
'कांबला' खेल दरअसल नवम्बर से मार्च के आखिर तक चलता है।
खेल में जीतने वाले भैंसों को पहले नारियल इनाम के रूप में दिया जाता था। पर अब इसमें स्वर्ण पदक और ट्रॉफी दी जाने लगी है।
यहाँ के कई गाँवों में कंबाला का आयोजन किया जाता है, जिसमें दर्जनों उत्साही युवा अपने सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षित भैंसों के साथ भाग लेते हैं।
जानवरों का संरक्षण करने वाले कार्यकर्ताओं ने कुछ वर्ष पहले कंबाला पर प्रतिबंध लगाने की माँग की थी।
उनका आरोप था कि जॉकी बल प्रयोग कर तेज दौडने के लिए भैंसों को मजबूर करता है।
इसके बाद कंबाला पर कुछ वर्ष के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था।
हालांकि तब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने एक विशेष कानून पारित कर खेल को जारी करवाया था।
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