कार्तिगई दीपम
कार्तिगई दीपम |
कार्तिगई दीपम दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है।
यह दक्षिण भारतीय कैलेंडर के अनुसार कार्तिगई महीने में मनाया जाता है, जो उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को आयोजित होता है।
तमिलनाडु और केरल में इस त्योहार को दीपावली की तरह मनाया जाता है।
घर-घर में सुबह-सुबह कोलम यानी रंगोली बनाई जाती है और शाम में मिट्टी के दीप जलाकर लोग उत्सव मनाते हैं।
इस अवसर पर केरल और तमिलनाडु के सभी मन्दिरों में विशेष पूजा का आयोजन होता है।
तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई अरुणाचलेश्वर स्वामी मन्दिर में कार्तिगई दीपम उत्सव का भव्य आयोजन होता है जो कार्तिकाई ब्रह्मोत्सव के नाम से प्रसिद्ध है।
इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु अरुणाचलेश्वर मन्दिर जो पहाड़ी के ऊपर बसा है वहाँ एकत्रित होते हैं और विशाल दीपक जलाते हैं जिन्हें महादीपम कहा जाता है।
यह भगवान शिव के ज्योति रूप का प्रतीक माना जाता है जिसका सम्बन्ध भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग से है जिसका जिक्र शिव पुराण में किया गया है।
कार्तिगई दीपम पर्व को मूल रूप से भगवान शिव को समर्पित माना जाता है जिसमें घर-घर में लोग दीप जलाकर नकारात्मक ऊर्जा यानी बुरी शक्ति को भगाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा एवं सुख समृद्धि को घर में आमन्त्रित करते हैं।
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